AN UNBIASED VIEW OF HINDI KAHANIYAN

An Unbiased View of hindi kahaniyan

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हमें भगवान के दिए इन उपहारों का सम्मान करना चाहिए और जितना है उतने में ही खुश रहना चाहिए।”

अतः उसने निश्चय किया कि वह फिर से घौसला बनाने के कार्य में पूरी सिद्धत से लग जायेगी.

अपने मन को यह कहकर समझाने लगी- अंगूर तो बहुत खट्टे हैं, इसको खाकर मै बीमार पड जाउगी.

मेरी पुत्री विवाह योग्य हो गईं है और मुझें उसके विवाह की चिंता है, लेकिन मेरे पास पर्याप्त धन नही है.

तीनों में से सबसे बुद्धिमान मछली ने एक अलग तालाब खोजने की योजना बनाई। बाकि बची दो मछलियों में से एक ने सहमति व्यक्त की, पर दूसरे ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह तालाब उनका घर है और वह इसे छोड़कर नहीं जाएगी। फिर उसने आगे कहा “आज तक इस तालाब में कभी कोई खतरा नहीं था। मुझे नहीं लगता कि हमें यह तालाब छोड़कर जाने की जरुरत है, और छोड़कर जाना कायरता होगी। ”

उमा ने ध्यान दिया तो उस डाल पर एक सुंदर घास का घौसला बन रहा था. उसे बड़ी जिज्ञासा हुई तथा अपनी माँ से पूछने लगी, माँ यह चिड़िया पेड़ पर कितना सुंदर घौसला बना रही हैं जबकि हमारे घर में तो वह ऐसा नही बनाती हैं.

अतः उन्हें समझा बुझलाकर शांत करने एवं आपस में समझौता कराने का प्रयास करना चाहिए.

किन्तु मृत्य के भय से उनके पैर नही उठ रहे थे, मौत की घड़ियों को कुछ समय टालने के लिए इधर-उधर भटकता रहा.

तभी रत्नजड़ित आभूषणों और बहुमूल्य वस्त्रों से सुसज्जित महिला ने उनको बुलाया, वह उनकी ब्राह्मणी थी.

उनकी पत्नी जानती थी कि द्वारकाधीश श्रीकृष्ण उनके मित्र हैं. बहुत आग्रह करके उसने सुदामा को उनके पास भेजा,

उसने सोचा यह कुरज हमेशा बिगाड़ करती हैं,इसे पकड़ना चाहिए

आज की शीर्षक हिंदी में कहानी में राजस्थान के कवि और लेखक विजयदान देथा द्वारा मूलत: राजस्थानी भाषा में लिखी गईं कुरज री विनती कहानी हैं, जिसे हिंदी में ट्रांसलेट किया गया हैं.

थोड़ी देर बाद उसे लगा कि उसके सिर पर कोई हाथ फेर रहा हैं. जब उमा ने नजर उठाकर देखा तो सामने उसकी माँ थी वह समझाते हुई बोली, बेटा कोई भी काम बिगाड़ना आसान है मगर उसे बनाना बहुत कठिन हैं.

भाखर खुड्के ब्याई ब्याई म्हारा बीर- टमरकटूँ

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